मंदिर वहीं, तो मस्जिद कहां बनाएंगे
- अनंत विश्वेंद्र सिंह
अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि विवाद पर निर्णय देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित स्थल पूरी तरह रामलला विराजमान को सौंप दिया। वहीं मुस्लिम पक्ष को भी संतुष्ट करने की कोशिश करते हुए न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत 5 एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए देने का निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया है। अब प्रश्न यह उठता है कि यह 5 एकड़ जमीन अयोध्या में मुस्लिमों को कहां पर मिलेगी।
बताते चलें कि इस केस की पैरवी कर रहे विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक सिंघल को करीब 20-22 वर्ष पूर्व इस बात का आभास था कि दोनों पक्षों में आपसी समझौते के माध्यम से इस विवाद का निपटारा हो अथवा कोर्ट के माध्यम से, दोनों ही परिस्थितियों में हिंदू पक्ष द्वारा मुस्लिम पक्ष को जमीन देनी होगी। इसके लिए उन्होंने उसी समय जमीन खोजने के लिए विश्व हिंदू परिषद के अपने सहयोगियों से कहा था। तब विहिप के वरिष्ठ नेताओं द्वारा अयोध्या में सरयू पार शहनवां ग्राम सभा मैं मुस्लिम समाज को देने के लिए जमीन चिन्हित की गई थी और विवादित परिसर के बदले में उस भूमि को मुस्लिम पक्ष को देने का प्रस्ताव किया गया था। इस गांव में मुस्लिम आबादी अधिक है और उनमें से काफी मुस्लिम परिवार अपने को मीरबाकी के वंशज होने का दावा करते हैं जोकि बाबर का सिपहसालार था और जिसने राम मंदिर के स्थान पर मस्जिद बनवाई थी। इसी गांव में मीरबाकी की कब्र भी बनी हुई है। लेकिन तब मुस्लिम पक्ष द्वारा विवादित भूमि पर दावा न छोड़ने के कारण दोनों पक्षों में बात नहीं बन सकी थी। अब सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुपालन में बहुत संभावना है कि मुस्लिम समाज को अपनी मस्जिद बनाने के लिए उसी शाहनवां गांव में पांच एकड़ जमीन दी जाए। शहनवां गांव अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा क्षेत्र से बाहर सदर तहसील में स्थित है। यदि उसी समय विहिप के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया होता तो तभी यह विवाद समाप्त हो जाता।
इसके अलावा फिलहाल स्थानीय अधिकारियों द्वारा सोहावल, सदर और बीकापुर तहसीलों के उन क्षेत्रों में भी मस्जिद के लिए जमीन की तलाश की जा रही है जो क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य हैं। बहुत संभावना इस बात की भी है कि मंदिर के बदले मिली जमीन पर मस्जिद बनाने जैसे विषयों से बचने के लिए मुस्लिम समाज अयोध्या में सरकार से जमीन लेकर मस्जिद बनाने से इंकार कर दे। कई मुस्लिम नेता मुखर होकर सरकार से मिली जमीन पर मस्जिद न बनाने की बात कह भी रहे हैं।
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