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Showing posts from November, 2019

महाराष्ट्र घटनाक्रम : मतदाताओं के लिए बड़ा सबक

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महाराष्ट्र के राजनीतिक वायुमंडल में चल रही उठापटक ने देश के संवेदनशील लोगों को परेशान किया है। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता और पार्टी के शुभचिंतक भी काफी परेशान और भ्रम की स्थिति में हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों से मेरी बात हुई तो उनकी टिप्पणी थी कि भाजपा अपने ही बुने जाल में उलझ गई और छीछालेदर करा बैठी है। लेकिन एक बड़ा वर्ग भी है जो ऐसा नहीं मानता। उस वर्ग की भावना को व्यक्त करता हुआ प्रस्तुत है सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद चौहान का यह संपादित आलेख - महाराष्ट्र के घटनाक्रम को लेकर मेरी अनेक संघ/भाजपा समर्थकों से वार्ता हुई। मैंने अधिकतर को एक अजीब हारे हुए भाव से ग्रसित पाया।ऐसा लग रहा था जैसे भारतीय जनता पार्टी ने कोई महापाप कर दिया है जिसकी शर्मिंदगी का बोझ अपने सर पर उठा कर घूम रहे हैं। एक राजनीतिक दल जो विचारधारा पर आधारित है उसके लिए दो बातें ही महत्वपूर्ण होती हैं। अपनी विचारधारा का रक्षण करना और उसे क्रियान्वयन की स्थिति में लाना तथा अपने समर्थक मतदाताओं के हितों की चिंता करना जिससे वह राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सके। महाराष्ट्र के जब चुनाव परिण...

आज 70वें संविधान दिवस पर संविधान संबंधी कुछ आवश्यक जानकारियां

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जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख केंद्र शासित राज्य पहली बार आज संविधान दिवस मनाएंगे। ध्यान रहे पिछले 70 साल से पूर्व जम्मू- 26 नवंबर 1949 को नई दिल्ली में डॉ. भीमराव अंबेडकर के साथ डॉ. राजेंद्र प्रसाद कश्मीर राज्य में अनुच्छेद 370 प्रभावी होने के कारण संविधान दिवस नहीं मनाया जाता था। आज 26 नवंबर 2019 को देश 70वां संविधान दिवस मना रहा है। आज से ठीक 70 साल पहले 26 नवंबर 1949 को भारत ने अपना संविधान अंगीकृत किया था। 11 अक्टूबर 2015 को 26 नवंबर 7 दिन राष्ट्रीय संविधान दिवस घोषित किया गया था। 1951 में पहला संविधान संशोधन अस्थाई संसद ने पारित किया था। 70 सालों में भारतीय संविधान में कुल 103 संशोधन किए गए। 2019 में अंतिम 103 वां संशोधन पारित हुआ। जिसके द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के नागरिकों को केंद्र सरकार के शिक्षण संस्थानों, प्राईवेट शिक्षण संस्थानों (माइनोरिटी संस्थानों को छोड़कर) एवं नौकरियों में 10% आरक्षण देना सुनिश्चित किया गया। 99 संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार दिया गया। जिसके द्वारा नेशनल ज्यूडिशल अपॉइंटमेंट कमीशन 2014 के गठन का प्रस्ताव किय...

देखिए भारत का नया नक्शा, वायरल हो रहा है गलत नक्शा।

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भारत की संसद की सिफारिश पर महामहिम राष्ट्रपति द्वारा 1947 में गठित जम्मू और कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ ही दो नए केंद्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आए। एक जम्मू कश्मीर तथा दूसरा लद्दाख। इसके साथ ही देश में 28 राज्य तथा 9 केंद्र शासित प्रदेश हो गए। बताते चलें कि 1947 में जम्मू और कश्मीर राज्य के गठन के समय वहां 14 जिले थे। 2019 में अब 14 जिलों के स्थान पर 28 जिले बनाए गए हैं। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में कारगिल और लेह जिले शामिल किए गए हैं। 31 अक्टूबर 2019 को सर्वे जनरल ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया भारत का नया नक्शा जारी किया गया जिसमें दोनों नवगठित यूनियन टेरिटरी जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख की सीमाओं को नीचे दिए नए नक्शे से समझा जा सकता है - पिछले दिनों में सोशल मीडिया पर भारत का नया नक्शा वायरल हो रहा है, जो पूरी तरह गलत है। वायरल नक्शे और सही नक्शे को एक साथ रखकर उनका पूरा अंतर समझा जा सकता है - यह है भारत का नया नक्शा

हे प्रभो, इस दास की इतनी विनय सुन लिजिये...

स्कूल की परीक्षाओं और तनाव को लेकर एक छात्र द्वारा भगवान से की जा रही प्रार्थना एक अज्ञात कवि के शब्दों में-- हे प्रभो, इस दास की इतनी विनय सुन लीजिये, मार ठोकर नाव मेरी पार ही कर दीजिये ! मैं नहीं डरता, प्रलय से, मौत या तूफ़ान से, रूह मेरी कांपती है, बस सदा इम्तेहान से ! पाठ पढ़ना, याद करना, याद करके सोचना, सोच कर लिखना उसे, लिख कर उसे फिर घोटना, टाय टाटा टाय टाटा रोज़ रटता हूँ प्रभु, रात दिन पुस्तकों के पन्ने उलटता हूँ प्रभु, किन्तु जाने भाग्य में यह कौन सा अभिशाप है रात भर रटता, सुबह मैदान मिलता साफ़ है ! पी गयी इंग्लिश हमारे खोपड़ी के खून को, मैं समझ पाया नहीं इस बेतुके मजमून को, सी.यू.टी कट है तो पी.यु.टी पुट कैसे हो गया, एस.ओ. सो है तो डी.ओ डू क्यों कर हो गया ! नाइफ में न जाने ‘के’ कहाँ से आ गया बस यही बात भेजा मेरा खा गया ! गणित के अतिरिक्त मुझे और कुछ भाता नहीं, पर क्या करूँ गुणा करना मुझे आता नहीं, अक्ल मेरी एलजेबरा जड़ से जाएगा पचा तीन में से छह गए तो और क्या बाकी बचा, नाश हो इतिहास का सन के समुन्दर बह गए, मर गए वो लोग, रोने के लिए...

जानिए- किस कांग्रेसी विधायक की पहल पर शुरू हुआ अयोध्या आंदोलन।

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Shri Daudayal Khanna (By- Anant Vishwendra Singh) यह बात सामान्यत सभी जानते हैं की श्रीराम जन्मस्थान पर लगा ताला प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय खुला और जब बाबरी ढांचा गिरा तब भी केंद्र में कांग्रेश की ही सरकार थी, प्रधानमंत्री थे नरसिंह राव। लेकिन एक महत्वपूर्ण बात की इस आंदोलन को शुरु करने की सलाह, पहली बार एक कांग्रेसी विधायक ने दी थी, इस समय शायद ही किसी को याद हो। जी हां, यह बात पूरी तरह सच और ऐतिहासिक तथ्य है कि श्रीराम जन्मस्थान को मुक्त कराने के लिए आंदोलन करने का विचार पहली बार किसी विश्व हिंदू परिषद या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या अन्य किसी हिंदूवादी संगठन के मन में नहीं आया था बल्कि यह विचार एक कांग्रेश विधायक ने पहली बार एक हिंदू सम्मेलन में आम जनता के बीच स्थापित किया था, जिनका नाम था दाऊ दयाल खन्ना। बात 1983 की है उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर शहर में हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में दो बार देश के अंतरिम प्रधानमंत्री रहे गुलजारी लाल नंदा मौजूद थे।उनके साथ उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री तथा कांग्रेस के प्रतिष्ठित नेता दाऊ दयाल खन्ना जो मुर...

मंदिर वहीं, तो मस्जिद कहां बनाएंगे

मुस्लिमों को कहां मिलेगी मस्जिद बनाने को जमीन ? - अनंत विश्वेंद्र सिंह अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि विवाद पर निर्णय देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित स्थल पूरी तरह रामलला विराजमान को सौंप दिया। वहीं मुस्लिम पक्ष को भी संतुष्ट करने की कोशिश करते हुए न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत 5 एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए देने का निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया है। अब प्रश्न यह उठता है कि यह 5 एकड़ जमीन अयोध्या में मुस्लिमों को कहां पर मिलेगी। बताते चलें कि इस केस की पैरवी कर रहे विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक सिंघल को करीब 20-22 वर्ष पूर्व इस बात का आभास था कि दोनों पक्षों में आपसी समझौते के माध्यम से इस विवाद का निपटारा हो अथवा कोर्ट के माध्यम से, दोनों ही परिस्थितियों में हिंदू पक्ष द्वारा मुस्लिम पक्ष को जमीन देनी होगी। इसके लिए उन्होंने उसी समय जमीन खोजने के लिए विश्व हिंदू परिषद के अपने सहयोगियों से कहा था। तब विहिप के वरिष्ठ नेताओं द्वारा अयोध्या में सरयू पार शहनवां ग्राम सभा मैं मुस्लिम समाज को देने के लिए जमीन चिन्हित की गई थी और विवादित पर...

अयोध्या के बाद मथुरा और बनारस की मस्जिदों पर क्या बोले मोहन भागवत...

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नई दिल्ली:  अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है. इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इसे एक ऐतिहासिक फैसला बताया है. इस दौरान उन्होंने मथुरा और बनारस में राम मंदिर को लेकर भी अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि हम बनारस और मथुरा में मस्जिद   की जगह मंदिर बनाने की बात करने वालों में शामिल नहीं होंगे. संघ प्रमुख ने कहा कि संघ कभी आंदोलन में शामिल नहीं हैं, इसका काम सिर्फ और सिर्फ चरित्र निर्माण करना है. भागवत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि संघ विवाद का खात्‍मा चाहता था जो हो गया. मैं इससे संतुष्‍ट हूं. अयोध्‍या के बाद काशी और मथुरा को लेकर किए गए सवाल के जवाब में मोहन भागवत ने कहा कि संघ मनुष्‍य का निर्माण करता है, आंदोलन करना संघ का काम नहीं है. मस्जिद को जमीन दिए जाने के निर्णय को लेकर किए गए सवाल के जवाब में मोहन भागवत ने कहा कि यह सरकार से कहा गया है, वो देखे. मुझे इसमें कुछ नहीं कहना है. मोहन भागवत ने कहा कि कोर्ट के निर्णय की तरह हमारा स्‍टेटमेंट भी साफ है. साभार- NDTV पर Nov. 10, 2019 12:35 IST...

जानिए- श्री रामजन्मभूमि पर निर्णय देने वाले जस्टिस रंजन गोगोई किस राजवंश से संबंधित हैं और उस राजवंश का गौरवशाली इतिहास

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जस्टिस रंजन गोगोई असम के गौरवशाली अहोम राजवंश से संबंधित हैं अहोम राजवंश का इतिहास- आसाम के काफी लोगो से मैने उनका इतिहास जाना, तो वे खुद को बाणासुर से जोड़ते है । बाणासुर को महाराज बलि के वंश से जोड़ा जाता है,जिन्होंने भगवान विष्णु को बामन अवतार में 3 पग भूमि दी थी ।।  इसी वंश में प्रह्लाद पैदा हुए थे । इसे बाद में दैत्य कुल का नाम भी मिला । दरअसल यह नाग प्रजाति के क्षत्रिय थे । अब आपको इस अहोम वंश के वर्तमान इतिहास को जानकर बहुत खुशी होगी, की भारत के कण कण में वीर विराजमान है ।। क्या दक्षिण क्या पूर्व, कहीं से टकराओ, हम हर शत्रु को मिट्टी में मिला सकते है ।। आपको ज्ञात होगा कि नेशनल डिफेंस एकेडमी में सर्वोच्च पुरस्कार क्या है ?? लासित बोरफुकन अवार्ड -- लासित बोरफुकन एक अहोम था - जो अपने अहोम राजा  चक्रध्वज सिंह का सेनापति था । #आसाम_के_हिन्दुओ_का_रक्षक - लासित बोरफुकन इतिहास में पहली बार .......जिसे मौत और हार का डर ना हो जीत उसके मुकद्दर में तय होती थी , जिसने ना केवल पूर्वोत्तर में हिन्दू धर्म की रक्षा की , बल्कि मुगलो के गरूर को भी कुचल डाला। वो नाम था -...

श्री रामजन्मभूमि मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर पू. सरसंघचालक जी की प्रेस वार्ता

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श्री रामजन्मभूमि के संबंध में मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस देश की जनभावना, आस्था एवं श्रद्धा को न्याय देने वाले निर्णय का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वागत करता है। दशकों तक चली लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह विधिसम्मत अंतिम निर्णय हुआ है। इस लंबी प्रक्रिया में श्री रामजन्मभूमि से संबंधित सभी पहलुओं का बारीकी से विचार हुआ है। सभी पक्षों के द्वारा अपने-अपने दृष्टिकोण से रखे हुए तर्कों का मूल्यांकन हुआ। धैर्यपूर्वक इस दीर्घ मंथन को चलाकर सत्य व न्याय को उजागर करने वाले सभी न्यायमूर्ति तथा सभी पक्षों के अधिवक्ताओं का हम शतशः धन्यवाद व अभिनंदन करते हैं। इस लम्बे प्रयास में अनेक प्रकार से योगदान देने वाले सभी सहयोगियों व बलिदानियों का हम कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करते हैं।   निर्णय स्वीकार करने की मनःस्थिति, भाईचारा बनाये रखते हुए पूर्ण सुव्यवस्था बनाये रखने के लिये सरकारी व समाज के स्तर पर हुए सभी लोगों के प्रयास का भी स्वागत व अभिनंदन करते हैं। अत्यंत संयमपूर्वक न्याय की प्रतीक्षा करने वाली भारतीय जनता भी अभिनंदन की पात्र है।   इस निर्णय को जय-पराजय की दृष्टि से नही...

अच्छी सेहत चाहें तो मिनी मील खाएं

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आज की व्यस्त दिनचर्या में कई बार लोग खाने का समय भी नहीं निकाल पाते। इसलिए दो से तीन बार भरपेट खाना खाने का रिवाज सा बन गया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि खाने का यह तरीका सेहत के लिए ठीक नहीं होता। अच्छी सेहत के लिए तीन बार के भोजन को 5 से 6 बार में खाएं।  इसे मिनी मिल्स कहा जाता है इसके बारे में बता रही हैं शमीम खान - #eatinghabits अक्सर सेलिब्रिटीज को कहते सुना जा सकता है कि उनकी फिटनेस का राज दिन में तीन बार मेगा मिल खाने के बजाय पांच छह बार मिनी मिल्स खाना है। अधिकतर डॉक्टरों का भी मानना है कि मिनी मिल्स स्वास्थ्य के लिए बेहतर है लेकिन कई लोग जब मिनी मील्स लेते हैं तो उनका वजन बढ़ने लगता है या पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। दरअसल मिनी मिल्स में कैलरी का डिस्ट्रीब्यूशन (अलग-अलग समय के लिए कैलरी का बंटवारा) और भोजन का चयन सबसे महत्वपूर्ण है। तो जानिए क्या है मिनी मिल्स की अवधारणा और इसके फायदे। मिनी मिल्स अधिकतर लोगों के लिए भोजन का मतलब उस खाने से होता है जिससे पेट भर जाए, लेकिन भोजन केवल पेट भरने के लिए ही नहीं होता बल्कि वह शरीर और मस्तिष्क को ऊर्जा भी देता...