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Showing posts from 2016

जबरदस्त जल संकट की चेतावनी

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किसी ने सोचा नहीं था कि 2016 की ये गर्मियां ऐसा जल संकट लेकर आएंगी। कहा जा रहा है कि आजाद भारत के इतिहास में सबसे खराब परिस्थितियां पैदा करने वाला सूखा है यह। पर्यावरणविद विशेषज्ञों के साथ ही सुप्रिम कोर्ट तक इस सूख से चिंतित दिखाई दे रहा है। उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक तक अनेक जिलों में पानी के लिए झगड़े हो रहे हैं। देश भर से जो समाचार मिल रहे हैं उनके अनुसार मराठवाड़ा के अनेक क्षेत्रों में पानी का अभाव इस कदर है कि जहां-जहां पानी बंटता है, वहां धारा 144 लगानी पड़ती है। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में पानी की रखवाली के लिए बंदूकधारी सुरक्षा गार्डों की तैनाती की गई है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक दस में से सात परिवार पानी के कारण पलायन कर गए हैं। बुंदेलखण्ड में तो कई इलाके हैं जहां रबी की फसल ही नहीं बोई गई है। प्रदेश के कई प्रमुख शहर ऐसे हैं जहां पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। कर्नाटक में कृष्णा सागर बांधसूख चुका है जिससे बेंगलुरू में पानी की समस्या गहरा गई है। केंद्रीय जल आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के बड़े जलाशयों में पिछले 10 वर्षों की तु...

श्रेष्ठतम प्रबंधक हैं हनुमान

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हिन्दू मतावलंबियों में श्रीराम भक्त हनुमान जी की आराधना को विशेष फलदायी माना जाता है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी उनको अत्यंत उच्च स्थान प्राप्त है। अतुलित बलधारी होने के बावजूद भी सीया-राम के प्रति उनकी भक्ति, समर्पण और सेवाभाव की प्रबलता के कारण वे इन तत्वों के माध्यम से मनवांक्षित फल प्राप्त करने का प्रतीक माने जाते रहे हैं। लेकिन आधुनिक काल में जब नए सिरे से वीर और बुद्धिमान हनुमान के कार्यों की समीक्षा की जा रही है तब हमें पता चल रहा है कि हनुमान जीवन के प्रबंधन की कला के श्रेष्ठतम शिक्षक हैं। भक्ति के साथ-साथ यदि हम उनके प्रबंधन कौशल का भी अनुसरण करें तो जीवन के लक्ष्यों तक पहुंचना काफी आसान हो जाएगा। वे बुद्धिमान हैं अर्थात कठिन से कठिन कार्यों को सही योजना बनाकर करते हैं और सदैव सफल होते हैं, असफलता उनके आसपास तक कभी नहीं फटकती। वे दूरदर्शी हैं, इसी कारण भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर श्रीराम और सुग्रीव की मैत्री कराते हैं। वे नीतिकुशल हैं, सुग्रीव को मैत्रीधर्म याद दिलाने की बात हो या रावण को स्त्री के सम्मान की शिक्षा देने की बात, वे नीति के अनुसार ही ...

छात्र बनाम राजनीति

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जेएनयू में हुए कन्हैया प्रकरण ने जहां देशद्रोह और देशभक्ति की बहस राजनीतिक क्षेत्र में छेड़ी है, वहीं एक और बहस जो इन दिनों शिक्षा परिसरों में चल रही है, वह है कि क्या छात्रों को महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में आकर अपनी पढ़ाई पर ही पूरी तरह ध्यान देना चाहिए या राजनीतिक क्रियाकलापों में भी सक्रीय होना चाहिए? क्या हमारे शिक्षण संस्थान विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित योग्य विद्वानों को सामने लाने के केंद्र होने चाहिए या राजनीतिक नेताओं को तैयार करने के? विभिन्न राजनीतिक दलों के छात्र संगठनों की शाखाओं की इन शिक्षा परिसरों में उपस्थिति और उपयोगिता पर भी प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं। इन प्रश्नों के इतर यह बात दीगर है कि आज ऐसे ही छात्र संगठनों से अपना राजनीतिक जीवन प्रारंभ करके अनेक छात्र नेता विभिन्न राजनीतिक संगठनों के शीर्ष पदों पर ही नहीं पहुंचे बल्कि केंद्र और राज्यों की सरकारों में भी सक्रीय भूमिका निभा रहे हैं। इतना ही नहीं स्वतंत्रता से पूर्व भी देश को दिशा देने वाले अनेक प्रमुख नेताओं ने अपनी राजनीतिक यात्रा को अपने विद्यार्थी जीवन में ही प्रारंभ कर दिया था। अतः यह कहना कि विद्यार...

क्या अखिलेश को मिलेगा दूसरा मौका?

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले दिनों सैंतीस अरब की बिजली परियोजनाओं को लोकार्पित करते हुए अपेक्षा की है कि जनता उन्हें 2017 में एक बार पुनः मौका देगी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि समाजवादी पार्टी की पिछली सरकारों की अपेक्षा अखिलेश सरकार ने प्रदेश में विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। उनकी युवा सोच और विकासशील दृष्टिकोण ने प्रदेश में अनेक अच्छी योजनाएं दी हैं। उन्होंने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वे #UttarPradesh के विकास के लिए संकल्पित हैं। लेकिन जिस एक मुद्दे पर यह सरकार पिछड़ रही है और प्रदेश का आम जन मानस उसके साथ खड़े होने से हिचकिचा रहा है वह है कानून व्यवस्था। प्रश्न यह है कि प्रदेश का कौना-कौना जगमग रोशनी से रौशन होने और विकास की गंगा में नहाने के बावजूद यदि आम और खास लोगों का जीवन और उनकी सम्पत्ति ही सुरक्षित नहीं हो तो ऐसी रौशनी और विकास का लोग क्या करेंगे। इस सरकार के लिए कानून व्यवस्था बड़ा और महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसे सरकार को समझना होगा। नए बनने वाले एक्सप्रेस वे #xpressway  जैसी सड़कें यदि अपराधियों को अपने काम को अंजाम देकर भागने में सुविधा देन...

स्कूलों और विश्वविद्यालयों में तिरंगा

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पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अपने परिसरों में प्रतिदिन 207 फीट ऊंचा तिरंगा झंडा फहराने का आदेश दिया है। इस आदेश के दो दिन बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी बेसिक स्कूलों में माह की प्रत्येक पंद्रह तारीख को तिरंगा फहराकर राष्ट्रप्रेम दिवस मनाने का आदेश पारित किया है, जिससे बचपन से ही राष्ट्रप्रेम की भावना विकसित हो सके। इन निर्णयों का निश्चित ही स्वागत किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय जैसे परिसरों में जहां विद्यार्थियों का नियमित आना-जाना रहता है वहां पर राष्ट्रभक्ति की भावना के प्रसार का यह अत्यंत श्रेष्ठ तरीका माना जा सकता है। आज जहां कुछ विश्वविधालयों के परिसरों से उठे देशविरोधी नारेबाजी और अराजक गतिविधियों से प्रेरित कर्कश स्वरों ने पूरे देश का वातावरण दूषित किया है वहां ऐसे प्रयोगों से निश्चित ही लाभ मिलेगा। हालांकि यह अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था, संस्कार, नैतिकता और महापुरुषों की जीवनियां हमारे विद्यार्थियों में राष्ट्रभक्ति की भावना को सुनिश्चित करने में कहीं न कहीं असफल ही रहे हैं। विभिन्न भाषाओं में ह...

चिंता की बात- गरम होती सर्दी

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जनवरी के इस महीने में चिल्ला जाड़ों की जगह दोपहर में न सहन होने की स्थिति तक गरम मौसम से पर्यावरण विज्ञानी खासे चिंतित हैं। हालांकि मौसम विभाग के अनुसार आगामी 10 या 12 तारीख से उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा होने की संभावना के चलते सर्दी अपना रंग दिखा सकती है, फिर भी मौसम का बदला हुआ यह रुख मानव और पशु-पक्षियों के स्वास्थ्य के लिए तो प्रतिकूल है ही साथ ही फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचाने वाला है। कुछ कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु में आ रहा यह परिवर्तन खेती के लिए दशकों में तैयार हुए उन्नत बीजों को भी बेकार कर सकता है। बदलता मौसम बाजार को भी चिंतित करने वाला है। कपड़ों से लेकर खाने तक की वस्तुएं बाजार को अस्थिर कर रही हैं। इसके बवजूद अंतरराष्ट्रीय बिरादरी इस समस्या से निपटने के लिए गंभीर नहीं दिखती। बीते दिसंबर माह में पैरिस में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में यह साफ देखने को मिला जब संपन्न देशों द्वारा विकासशील और गरीब देशों के प्रति अपनाए गए रुख ने हताश ही किया है। विकसित देश किसी भी सूरत में अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव करने के लिए तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर दुनिया भर...