जबरदस्त जल संकट की चेतावनी

किसी ने सोचा नहीं था कि 2016 की ये गर्मियां ऐसा जल संकट लेकर आएंगी। कहा जा रहा है कि आजाद भारत के इतिहास में सबसे खराब परिस्थितियां पैदा करने वाला सूखा है यह। पर्यावरणविद विशेषज्ञों के साथ ही सुप्रिम कोर्ट तक इस सूख से चिंतित दिखाई दे रहा है। उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक तक अनेक जिलों में पानी के लिए झगड़े हो रहे हैं। देश भर से जो समाचार मिल रहे हैं उनके अनुसार मराठवाड़ा के अनेक क्षेत्रों में पानी का अभाव इस कदर है कि जहां-जहां पानी बंटता है, वहां धारा 144 लगानी पड़ती है। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में पानी की रखवाली के लिए बंदूकधारी सुरक्षा गार्डों की तैनाती की गई है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक दस में से सात परिवार पानी के कारण पलायन कर गए हैं। बुंदेलखण्ड में तो कई इलाके हैं जहां रबी की फसल ही नहीं बोई गई है। प्रदेश के कई प्रमुख शहर ऐसे हैं जहां पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। कर्नाटक में कृष्णा सागर बांधसूख चुका है जिससे बेंगलुरू में पानी की समस्या गहरा गई है। केंद्रीय जल आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के बड़े जलाशयों में पिछले 10 वर्षों की तुलना में इस बार पानी का स्तर सबसे कम है। देश की सभी प्रमुख नदियों में भी पानी का स्तर लगातार घट रहा है, जिस कारण जीवनदायनी नदियां स्वयं के जीवन के संकट से जूझ रही हैं। महानगरों से लेकर गांवों तक में तालाब और पोखरों की हालत किसी से छुपी नहीं है। अनेक बड़े शहरों में तो बड़े तालाबों का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। वहां विशाल आलीशान मल्टीस्टोरी इमारतें खड़ी हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं है। यही वह समय है जब हमें पानी की अमूल्यता को समझना होगा, उसे सहेजने के प्रयास तत्काल प्रारंभ करने होंगे। केवल बातें करने, ज्ञान बघारने और कागद कारे करने का समय बीत चुका है। भयानक जल संकट हमारे सामने चुनौती बन कर खड़ा है। यदि अब भी हम नहीं चेते तो मानवता को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। 

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