क्या अखिलेश को मिलेगा दूसरा मौका?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले दिनों सैंतीस अरब की बिजली परियोजनाओं को लोकार्पित करते हुए अपेक्षा की है कि जनता उन्हें 2017 में एक बार पुनः मौका देगी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि समाजवादी पार्टी की पिछली सरकारों की अपेक्षा अखिलेश सरकार ने प्रदेश में विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। उनकी युवा सोच और विकासशील दृष्टिकोण ने प्रदेश में अनेक अच्छी योजनाएं दी हैं। उन्होंने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वे #UttarPradesh के विकास के लिए संकल्पित हैं। लेकिन जिस एक मुद्दे पर यह सरकार पिछड़ रही है और प्रदेश का आम जन मानस उसके साथ खड़े होने से हिचकिचा रहा है वह है कानून व्यवस्था। प्रश्न यह है कि प्रदेश का कौना-कौना जगमग रोशनी से रौशन होने और विकास की गंगा में नहाने के बावजूद यदि आम और खास लोगों का जीवन और उनकी सम्पत्ति ही सुरक्षित नहीं हो तो ऐसी रौशनी और विकास का लोग क्या करेंगे। इस सरकार के लिए कानून व्यवस्था बड़ा और महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसे सरकार को समझना होगा। नए बनने वाले एक्सप्रेस वे #xpressway  जैसी सड़कें यदि अपराधियों को अपने काम को अंजाम देकर भागने में सुविधा देने लगें तो ऐसे विकास कार्यों पर प्रश्न खड़े होना स्वाभाविक है। हालांकि अब मुख्यमंत्री ने आश्वस्थ किया है कि कानून व्यवस्था की स्थिति को अब वे स्वयं देखेंगे। यदि सत्ता सम्हालते ही उन्होंने यह कर लिया होता तो आज उनकी सरकार की वापसी पर संभवतः इतने गंभीर प्रश्न न खड़े किए जाते। यह उन्होंने प्रारंभ से ही जनता में सुरक्षा और अपराधियों में भय के वातावरण का निर्माण किया होता तो उन्हें किसी प्रकार की अनिश्चितता से उन्हें दोचार नहीं होना पड़ता। दिन दहाड़े होते अपहरण, सड़कों पर छीनाझपटी, बदमाशों की गोली का निशाना बनते पुलिस कर्मी और आम नागरिक, ऐसे मामले हैं जो आम समाज में भय का वातावरण निर्माण करते हैं। आज भी आम आदमी यही मानता है कि यदि पुलिस चाहे तो मंदिर के आगे से चप्पल तक चोरी नहीं हो सकती, बड़े अपराध तो दूर की बात है। दूसरी ओर संदेश है कि यूपी पुलिस #SamajwadiParty के एजेंट की तरह काम कर रही है। वास्तविकता कुछ भी हो। सवाल मुख्यमंत्री की साख का है। अतः अब मुख्यमंत्री को बिना वक्त गंवाए जनता को आश्वस्थ करना होगा कि सपा सरकार में उनकी सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है, तभी कुछ बात बन सकती है।

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