बुजुर्ग और उनकी तनहाई

              old age & loneliness
स्वास्थ्य सेवाओं में हुए क्रांतिकारी विकास ने मनुष्य की औसत आयु में जबरदस्त इजाफा किया है। इसके कारण इस खूबसूरत लेकिन नश्वर संसार में इंसान का जीवन लगातार लंबा हो रहा है। निश्चित ही यह सभी को अच्छी लगने वाली महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस उपलब्धि ने संसार में बुजुर्गों की संख्या में भी जबरदस्त इजाफा किया है। एक अनुमान के अनुसार आगामी पैंतीस वर्षें में इस धरती पर बुजुर्गों की संख्या बीस अरब का आंकड़ा पार कर जाएगी। जाहिर है उनके ऊपर होने वाले खर्च में भी इजाफा होगा। हो सकता है आर्थिक दबाव के उस इजाफे को दुनिया वहन कर ले, लेकिन उनके भावनात्मक पहलू की समस्याएं निश्चित ही गंभीर होती जाएंगी। हाल ही में खबर आई है कि जापान में एक अस्सी वर्षीय बुजुर्ग की मृत्यु का पता एक माह बाद लग सका, जबकि उसके बच्चे उसके अपार्टमेंट के किराए और अन्य खर्चों को लगातार उठाते रहे। तनहाई में ऐसी मौतों की संख्या दुनिया भर में लगातार बढ़ रही है, भारत भी इससे अछूता नहीं है। यह अपने तरह की समस्या है। जिस रास्ते पर यह दुनिया जाती दिख रही है उसमें सब कुछ है, लेकिन संवेदनाओं का सर्वथा अभाव है। जब युवा दंपत्तियों के पास अपने लिए और अपने बच्चों के लिए ही समय नहीं है तो अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए उनसे अपेक्षा करना बेमानी ही है। उपभोक्तावाद प्रधान इस दौर में मानवीय संबंधों के बिखरते ताने-बाने पर चिंताओं का अंबार लगना प्रारंभ तो हो गया है लेकिन समाधान किसी को सूझ नहीं रहा है। अनुत्पादक और असहाय बुढ़ापा प्रत्येक जीवन की अमिट सच्चाई है। आश्चर्य है कि इस सच्चाई से हम तभी सामना करते हैं जब यह हमारे सामने आकर खड़ी हो जाती है। इस सच्चाई का सबसे क्रूर साथी है एकाकीपन या तनहाई। उम्र के अंतिम पढ़ाव पर एक हंसते गाते इसान का संसार के शोर-शराबे से दूर होकर धीरे-धीरे तनहाई के आगोश में चले जाना कितना कष्टप्रद होता है, उसे केवल भुगतने वाला ही जान सकता है। एक विचार यह भी है कि अपने बुढ़ापे में आने वाली परेशानियों की तैयारी हर इंसान को अपनी जवानी के अंतिम दिनों में ही प्रारंभ कर देनी चाहिए। लेकिन हम जानते हैं कि सभी के लिए यह कभी संभव नहीं होगा। अतः इसका समाधान युवा संसार को ही निकालना होगा। जब तक बुजुर्गों की तनहाई सहित उनकी अन्य समस्याओं के समाधान, आधुनिक युवा संसार अपनी प्राथमिकताओं में शामिल नहीं करता तब तक तनहाई में मृत्यु के समाचार सुर्खियां बटोरते ही रहेंगे।   

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