आईटीआई का महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान की देश को आईआईटी नहीं बल्कि आईटीआई की जरूरत है, धरातलीय परिस्थितियों के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण है। उपेक्षा और भ्रष्टाचार का शिकार हो रहे आईटीआई के तंत्र को विशेष महत्व का क्षेत्र बनाने में प्रधानमंत्री का यह बयान मील का पत्थर साबित होगा ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए। आर्थिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि देश के आर्थिक विकास के लक्ष्यों को तेजी से हांसिल करने के लिए नए रोजगार पैदा करना एक बड़ी चुनौती है। देश में युवाओं की संख्या को देखते हुए सभी को बड़े पदों पर समायोजित करना असंभव ही है। अतः इंजीनियरों की अपेक्षा कुशल और दक्ष श्रम शक्ति तो आईटीआई से ही मिल सकती है। वैसे भी एक इंजीनियर के साथ दस-बीस आईटीआई प्रशिक्षितों की आवश्यकता रहती है। लेकिन पिछले दो दशकों से निजि क्षेत्र के इंजीनियरिंग काॅलेजों से जिस प्रकार से इंजीनियरों की बड़ी संख्या निकली है, लेकिन गुणवत्ता के लिहाज से बाजार में उन्हें नौकरी के लायक ही नहीं समझा जा रहा। अतः आईटीआई के मामले में यह सतर्कता बड़ी कड़ाई के साथ बरतनी होगी कि वहां गुणवत्ता के मामले में समझौता न हो, तभी बात बन सकेगी। दूसरी ओर युवाओं के अभिभावकों को भी प्रशिक्षित करने की बड़ी जरूरत है। बड़ी संख्या में ऐसे उदाहरण सामने हैं जब खेत और घर बैच कर या गिरवी रखकर माता-पिता अपने बच्चे को निजि इंजीनियरिंग काॅलेजों में प्रवेश दिलाते हैं, लेकिन वे बच्चे इंजीनियरिंग करने योग्य होते ही नहीं हैं। ऐसे माता-पिता से भी यदि अपने बच्चे को आईटीआई में भेजने के लिए कहें तो वे उसके लिए इसलिए तैयार नहीं होते क्योंकि वे अपने बच्चे को मजदूर नहीं बनाना चाहते। ऐसे में माता-पिता को तो बड़ा नुकसान होता ही है साथ ही वह युवा भी हाताशा और निराशा के भंवर में फंस जाता है। अतः सबसे पहली आवश्यकता है आईटीआई प्रशिक्षित युवाओं को सम्मान दिलाने की। उनका वेतनमान, उनको मिलने वाली सुविधाएं यदि सम्मानजनक हो जाएं तो आईटीआई की ओर युवाओं का रुझान तेजी से बढ़ेगा। इस लिहाज से भी प्रधानमंत्री का आईटीआई के पक्ष में बोलना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। विश्वास करना चाहिए उनकी आवाज युवाओं और अभिभावकों को भी सुनाई देगी।

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