डिजिटल इंडिया की चुनौतियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डिजिटल इिंडिया का आगाज मुख्य रूप से भारत के गांवों और दूरदराज के इलाकों तक सूचना क्रांति की चमक को ले जाने का प्रयास ही नजर आ रहा है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। कई बड़े उद्योगपतियों का भी उन्हें पूरा साथ मिल रहा है। यदि यह अभियान सफलता की ओर बड़ता है तो देश की बड़ी आबादी को शिक्षा, रोजगार, खेती-किसानी, सिंचाई सुविधाएं, स्वास्थ्य और व्यापार के नए रास्ते खुलेंगे और उम्मीदें जगेंगीं। लेकिन इस रास्ते की चुनौतियां भी कम नहीं हैं। बड़ी चुनौती है इस क्रांति को केवल अंग्रेजी या हिंदी भाषा तक सीमित रह जाने से रोकना। देश में बोली जाने वाली प्रत्येक भाषा को इस क्रांति का लाभ मिलना चाहिए, यह प्रारंभ से ही देखना होगा। यदि किसी कारण इस मामले में चूक हो गई तो अनेक प्रकार की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। दूसरी चुनौती है देश की बड़ी निरक्षर आबादी को इस लाइक बनाना कि वह डिजिटिलाइजेशन के महत्व को समझ सके और उसे अपना सके। भारत के ग्रामीण भारत में नई तकनीकि को अपनाने के प्रति जो उपेक्षाभाव है उसके कारण काफी कठिनाइयां आने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। सरकार को अपने स्तर पर भी कई बड़े प्रयास करने होगें, जैसे आज तक भी देश का बड़ा हिस्सा बिजली की पहुंच से बाहर है। डिजिटलाइजेशन को सफल बनाने के लिए सबसे पहले हर गांव तक बिजली को पहुंचाना आवश्यक है। इसके साथ ही जब इस अभियान के कारण वित्तीय लेनदेन बढ़ेगा तब अनेक प्रकार के साइबर अपराध भी सर उठाएंगे। अतः ऐसे अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए नए साइबर कानून बनाने होंगे। इसके साथ ही देश की बड़ी आबादी की छोटी-बड़ी सभी व्यक्तिगत जानकारियां इंटरनेट पर होंगी। इसके लिए डेटा प्राइवेसी पर सरकारी स्तर पर बड़े काम करने की जरूरत है, अन्यथा ये जानकारियां देश द्रोहियों या देश के दुश्मनों के हाथ लगने पर उसके अत्यंत गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। इसके अलावा सरकार को पुराने और जंग लग चुके अपने तंत्र से भी दोचार होना पड़ेगा जो अपने तरीके से इस पूरे अभियान में रोड़े अटकाने का काम करेगा। अतः हमें समझना होगा कि डिजिटलाइजेशन की राह उतनी भी आसन नहीं है जितनी ऊपर से लग रही है।
पर कदम उठ ही गया है तो सफलता की ओर ही जाएगा।
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