पाइथागोरस बनाम बोधायन

पाइथागोरस बनाम बोधायन
क्या दुनिया का पहला हवाई जहाज भारत में बना था?  क्या दुनिया को पाइथागोरस थ्योरम भी भारत ने दी थी? ये प्रश्न महत्वपूर्ण इसलिए हैं क्योंकि फिल्म ’हवाईजादा’ में दी गई जानकारी से भारतीय युवा रोमांचित महसूस कर रहा है। दूसरी ओर विज्ञान और प्राधोगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने पाइथागोरस थ्योरम को भारतीय बोधायन प्रमेय बताकर भारत सहित दुनिया के गणितज्ञों में नई बहस छेड़ दी है। हालांकि एनसीईआरटी की गणित की पुस्तकों में पाइथागोरस के साथ ही बोधायन का जिक्र बहुत पहले से शुरू हो चुका है। एक वर्ग है जो ऐसी बहसों को निरर्थक मानता है वहीं दूसरे वर्ग का मानना है कि इतिहास केवल तथ्यों का ज्ञान नहीं होता बल्कि वह वर्तमान के गौरव का कारण भी होता है। आज की पीढ़ी जब अपने गौरवशाली अतीत को जानेगी तभी उसे भविष्य के लिए संघर्ष की प्रेरणा प्राप्त होगी। ऐसे अनेक विषय हैं जैसे, यह माना जाता है कि दुनिया की पहली प्लास्टिक सर्जरी भारत में हुई। चिकित्सा विज्ञान में भारत की श्रेष्ठता के दावे भी कम नहीं हैं, कहा जाता है कि शल्य क्रिया के श्रेष्ठतम उपकरण भारत में उपलब्ध थे। दुनिया का सर्वश्रेष्ठ इस्पात भी भारत में उत्पादित होने के दावे किए जाते हैं। राष्ट्रभक्ति के परिपेक्ष में देखें तो ये तथ्य किसी भी भारतीय का सीना चौड़ा करने का कारण बनते हैं, उसे प्रेरणा देते हैं, लेकिन आधुनिक जगत में इनकी प्रामाणिकता भी सिद्ध होनी आवश्यक है। फिल्म के माध्यम से या देश के माननीय मंत्री के बयानों के आधार पर कोई भी ऐतिहासिक तथ्य प्रामाणिकता प्राप्त नहीं कर सकता जब तक कि संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ इतिहासविद उसको प्रमाणित न करें। अतः विषय विशेषज्ञों को इस ओर बड़े काम करने की आवश्यकता है। लेकिन व्यवहारिक अनुभव यही है कि ऐसे विषयों पर कोई विशेषज्ञ संघर्ष करना नहीं चाहता। ऐसे मामलों में हम सामान्यतः विदेशों की ओर ही ताकते हैं। शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हम इतना निचले पायदान पर खड़े हैं कि अपने गौरवशाली अतीत को भी सत्य की कसौटी पर स्थापित करने का प्रयत्न तक नहीं करते। परिणाम स्वरूप हम दुनिया के एकमात्र देश हैं, जिसका निरक्षर नागरिक भी अन्य देशों के उच्च शिक्षित लोगों की तुलना में कहीं अधिक वैज्ञानिक जीवन व्यतीत करता है, परंतु वह उस गौरव के साथ खड़ा नहीं हो पाता जिसकी अपेक्षा है। अतः हमें इस दिशा में अनेक स्तरों पर अनेक प्रयास प्रारंभ करने होंगे। यही समय की मांग है।

Comments

Popular posts from this blog

हे प्रभो, इस दास की इतनी विनय सुन लिजिये...

जानिए- अठारह पुराणों के नाम और उनका संक्षिप्त परिचय

आगरा में बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमले के विरोध में विशाल प्रदर्शन