महामारी बनता कैंसर

सरकार और सामाजिक संगठनों का ध्यान आमतौर पर उन्हीं बीमारियों पर जाता है जो महामारी का रूप ले लेती हैं। लंबे संघर्ष के बाद देश ने पोलियो जैसी बीमारी पर अब काबू पा लिया है। टीबी पर काबू पाने के लिए लगातार कोशिशें जारी हैं। एड्स को लकर भी जैसा शोर कुछ वर्ष पहले तक था अब नहीं है। ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को लेकर भी अब पहले से अधिक सतर्कता है। लेकिन कैंसर को जानलेवा तो मान लिया गया है पर अभी महामारी के नजरिये से नहीं देखा जा रहा है। जबकि यह जिस तेजी से अपने पांव पसार रहा है, वह निकट भविष्य के लिए गंभीर खतरों की ओर इशारा है। हालांकि अभी इसकी तेजी के कोई प्रमाणिक आंकडे़ मौजूद नहीं हैं। फिर भी अस्पतालों और आम समाज के बीच से जो खबरें लगातार आ रही हैं वे परेशान करने वाली हैं। हाल ही में ग्रेटर नोएडा के सादोपुर गांव से खबर आई है कि वहां का हर तीसरा घर कैंसर की चपेट में हैं और इस रोग की गिरफ्त में आकर गत पांच वर्षों में पचास लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं। उसी प्रकार पंजाब से भी खबर आई थी कि वहां के कई गांवों के अधिकांश वाशिंदे केंसर की चपेट में हैं। ऐसी खबरें भी हालांकि यदा कदा ही अचानक पकड़ में आती हैं क्योंकि इनके लिए कोई योजना बनाकर प्रयास नहीं हो रहे हैं। लेकिन उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से जिनका संबंध है वे भली प्रकार जानते हैं कि वहां कैंसर किस तेजी से फैल रहा है। यह जानलेवा बीमारी तो है ही साथ ही जिस परिवार में कैंसर रोगी होता है उस पर आर्थिक और सामाजिक मार भी बड़ी जबरदस्त पड़ती है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इस बीमारी के कारण बड़ी संख्या में घर बर्बाद हो रहे हैं, लेकिन फिलहाल किसी का ध्यान उस ओर नहीं है। अनेक बार तो रोगी की आर्थिक परिस्थितियां ही ऐसी नहीं होतीं कि वह अपना इलाज करा सके और वह बिना इलाज लिए ही दम तोड़ देता है। विकास की दौड़ के कारण खाने-पीने की आदतों में आए बदलाव और मिलावटी खाद्य वस्तुओं, स्तरहीन डिब्बा बंद वस्तुओं, रेडीमेड फूड आदि के साथ ही वायु और भूमिगत पेयजल प्रदूषण ने इस बीमारी को अनुकूल वातावरण दिया है। अतः इस बीमारी के इलाज के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी बड़े प्रयास किये जाने की जरूरत है। अतः इस बीमारी से लड़ने और रोकथाम के लिए हर स्तर पर प्रयास जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी प्रारंभ किये जाने चाहिए, अन्यथा कैंसर को भी महामारी बनते देर नहीं लगेगी।

Comments

Popular posts from this blog

हे प्रभो, इस दास की इतनी विनय सुन लिजिये...

जानिए- अठारह पुराणों के नाम और उनका संक्षिप्त परिचय

आगरा में बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमले के विरोध में विशाल प्रदर्शन