'गंदी बात' के विरोध में जावेद
"गंदी बात" के विरोध में जावेद
वर्तमान दौर के फिल्मी गीतों में लगातार बढ़ रहे भद्देपन से देश के साहित्य जगत की चिंतायें अब गीतकार जावेद अख्तर के माध्यम से मुखर हुई हैं। उन्होंने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समाज को भद्दे फिल्मी गीतों के विरुद्ध अपनी आवाज उठानी चाहिए। जावेद की इस पहल का स्वागत हर स्तर पर होना चाहिए। किसी भी गीत और साहित्य की रचना केवल मनोरंजन हेतु नहीं अपितु समाज को अनुशासित करने, उसे सभ्य और सुसंस्कारित बनाने के लिए होती है। इसीलिए साहित्य समाज का दर्पण कहलाता है जो किसी भी इंसान को गहरे तक प्रभावित करने की अनूठी ताकत रखता है। सामान्य मनोरंजन के लिए लिखे गए गीत भी अपना गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। ’चोली के पीछे...’ से लेकर ’गंदी बात...’ और उसके आगे तक के फिल्मी गीतों ने समाज का मनोरंजन कम किया, अराजकता अधिक फैलाई। ऐसे गीतों के सामाजिक प्रभाव को देखें तो पाते हैं कि इसने ’गंदी बात’ की गंभीरता को समाप्त किया, जिसके परिणाम स्वरूप अनेक असामाजिक घटनाएं तब तक गंदी बात नहीं रह गईं जब तक उनको अंजाम देने वाले कानूनी शिकंजे में नहीं फंसे। युवाओं को मनोरंजन के नाम पर परोसी जा रही फूहड़ता और भद्दापन जिस स्तर को छू रहा है वह वाकई चिंतनीय है। यह मनोरंजन कुछ समय के लिए जो मानसिक नशा पैदा करता है, उससे एक भ्रम जन्म लेता है जो जीवन को भटकाव के पथ पर ले जाता है। तब श्लील-अश्लील, अच्छे-बुरे, सामाजिक-असामाजिक का अंतर समझने की विवेक बुद्धि कुंद होती जाती है, जिसके दुखद और अनपेक्षित परिणाम अक्सर समाज में प्रतिबिंबित होते हैं। तब हम चौंक कर सोचते हैं कि आखिर ये हो क्या रहा है? अतः कोरे मनोरंजन के लिए भी लिखे जाने वाले गीतों और ऐसे गीत लिखने वाले गीतकारों की सामाजिक जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। आखिर यह जिम्मेदारी तय कौन करेगा? यह समाज का विषय है तो जाहिर है कि यह जिम्मेदारी भी समाज को ही तय करनी होगी। अभी तक ऐसे विषयों पर आवाज उठाने वालों को दकियानूसी, दक्षिणपंथी, आधुनिकता विरोधी जैसे विशेषणों से नवाजा जाता था लेकिन जावेद अख्तर के साथ ऐसा नहीं है। देर हो सकती है पर सच सर चढ़कर बोलता ही है। अब जब जावेद साहब ने सच के पक्ष में आवाज उठाई है और इस मामले में समाज को आगे आने का आह्वान किया है तो समाज को अपनी निंद्रा त्यागनी चाहिए और कोशिश होनी चाहिए कि ये आवाज बहुत दूर तक जाए और अपना प्रभाव स्थापित करने में कामयाब हो।
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