कक्षा 3 की किताबों में आरोपी आसाराम बापू महान संत


राजस्थान के जोधपुर जिले के कई विद्यालयों में पढ़ाई जा रही कक्षा 3 की पाठ्य पुस्तक नया उजाला में आसाराम बापू को विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, गुरु नानक देव और मदर टेरेसा की श्रेणी का महान संत बताया गया है। उल्लेखनीय है कि आसाराम बापू अगस्त 2013 से बलात्कार के आरोप में जेल में बंद हैं। यह मामला सामने आने के बाद जब मीडिया ने इस पुस्तक के प्रकाशक से संपर्क किया, तो वहां से बताया गया कि पुस्तक में यह पाठ तब से शामिल है जब आसाराम बापू पर ऐसे आरोप नहीं लगे थे। यहां सवाल यह नहीं है कि आसाराम बापू वास्तव में दोषी हैं या नहीं। उनके दोषी होने या न होने का फैसला तो न्यायालय करेगा। सवाल यह है कि आसाराम बापू को जेल में बंद हुए लगभग दो वर्ष होने जा रहे हैं, उन पर बलात्कार जैसा अत्यधिक घिनौना और गंभीर आरोप लगा है। ऐसे में, क्या वे विद्यालय जिनमें यह किताब पढ़ाई जा रही है उनका प्रबंधतंत्र, वे अध्यापक जो बच्चों को यह किताब पढ़ा रहे हैं, वे अभिभावक जिनके बच्चे ये किताब पढ़ रहे हैं, इन सबके साथ ही जोघपुर के शिक्षा विभाग के अधिकारी और स्वयं इस पुस्तक के प्रकाशक, किसी के संज्ञान में ये बात क्यों नहीं आई? जबकि आसाराम बापू की गिरफ्तारी कोई गुपचुप तरीके से नहीं हुई थी। यह माना जा सकता है कि प्रकाशकों ने तो अपने मुनाफे को देखते हुए इस मामले में चुप्पी साधे रखी लेकिन अन्य लोगों के ध्यान में यह बात क्यों नहीं आई। यह घटना बताती है कि हम ऐसे सामाजिक मामलों में किस कदर उपेक्षा बरतते हैं। यह ठीक है कि देश और विदेश में आसाराम बापू के लाखों शिष्य आज भी उन्हें बेकसूर मानते हैं, उन पर आस्ता रखते हैं। उनकी आस्था और विश्वास का सम्मान होना ही चाहिए। लेकिन #आसारामबापू इस समय देश के कानून की पकड़ में हैं और विचाराधीन कैदी हैं अतः जब तक वे कानूनी रूप से बेकसूर साबित नहीं होते तब तक तो किसी भी हालत में उन्हें स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य पुस्तकों को हिस्सा नहीं बनया जा सकता। ऐसे मामलों में निश्चित ही विशेष सावधानी रखी जानी चाहिए थी। अब बताया जा रहा है कि प्रकाशकों ने तत्काल प्रभाव से इन विवादित किताबों को बाजार से वापस मंगाया जा रहा है, वहीं जोधपुर शिक्षा विभाग का कहना है कि सोमवार को इस मामले में कार्यवाई की जाएगी।    

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