संवत्सर : संसार का पहला वैज्ञानिक केलेंडर | by Anant Vishwendra Singh


 ---- नवसंवत 2078 पर विशेष----

भारतीय कालगणना का वैज्ञानिक महत्व 

- अनंत विश्वेंद्र सिंह

दुनिया में भारतीय संस्कृति को प्रतिष्ठित करने में भारतीय कालगणन का विशेष महत्व है। समय को नापने के लिए भारतीय ऋषियों ने जितनी ऊंचाई और गहराई तक यात्रा की है, वह आधुनिक वैज्ञानिकों को भी अचंभित करती है। इसी से निकला विश्वास घोषणा करता है कि चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा ही श्रष्ठि का पहला दिन है अर्थात सतयुग में ब्रह्माजी ने इसी दिन सृष्टि की रचना का प्रारंभ किया। त्रेतायुग में इसी दिन श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ, द्वापर में इसी दिन महाभारत में धर्म की विजय के साथ राजसूय यज्ञ का प्रारंभ हुआ और कलयुग में कई नामों की यात्रा तय करते हुए अंततः शकारि विक्रमादित्य द्वारा विदेशी आक्रमणकारी शकों से भारत भूमाता को मुक्त कराने के बाद इसी दिन विक्रम संवत का प्रारंभ किया गया। विशेष यह कि यह संवत विशुद्ध रूप से प्राकृतिक खगोलीय सिद्धांतो के साथ ही ब्रह्मांड के ग्रहों और नक्षत्रों पर आधारित है।

संवत, कालगणना का संक्षिप्त रूप है। संवत्सर, संवत, बत्सर, हायन, शक, शरत, सन् आदि शब्द वर्ष के ही पर्याय हैं। संसार में सर्वप्रथम भारत में ही संवत का प्रयोग प्रारंभ हुआ। अतः यह कहने में जरा भी अतिशियोक्ति नहीं है कि भारतीय कालगणना की परंपरा और पद्धति अत्यंत प्राचीन तो है ही साथ ही पूर्ण निर्दोष और वैज्ञानिक सिद्धांतों पर भी पूरी तरह खरी है। इसीलिए भारतीय मनीषा घोषणा करती है कि सृष्टि की उत्पत्ति भारत में हुई। इस संबंध में ब्रह्मपुराण का यह श्लोक उल्लेखनीय है- चैत्रेमासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमेअहनि। शुक्ल पक्षे समग्रंतत्तदा सूयोदये सति।। प्रवर्तया मास तदा कालस्य गणनामपि। ग्रहान्नागा तृतून्मासान् वत्सरान्वत्सराधिपान्।। अर्थात सृष्टि संवत के अनुसार आज दिनांक 13.04.2021 से 1955885122 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन रविवार प्रातःकाल सूर्योदय के समय अश्विनी नक्षत्र, मेष राशि के आदि में सब ग्रह उपस्थित थे। तब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की और उसी समय से सब ग्रहों का अपनी-अपनी कक्षा में भ्रमण करना भी आरंभ हुआ। सृष्टि के कार्यों के आरंभ के साथ ही दिन, वार, पक्ष, मास, ऋतुएं, अयन, वर्ष, युग और मन्वंतर का आरंभ भी उसी दिन हुआ। इसी के साथ संसार में कालगणना को आधार मिला और उसका प्रारंभ हुआ। 

भारत के अलावा संसार की सभी प्रचलित कालगणनाओं में या तो सूर्य अथवा चंद्रमा के आधार पर समय की गणना होती है। सिर्फ भारतीय कालगणना सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, और शनि आदि मुख्य ग्रहों साथ ही अश्विन्यादि नक्षत्रों की गति के आधार पर की जाती है जो बिल्कुल सटीक होती है। यही कारण है कि नासा जैसी संस्था सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण की अब जाकर सटीक भविष्यवाणी कर पा रही है जिसे भारतीय पंचांग रामायण और महाभारत काल से करते चले आ रहे हैं और अनंत काल तक की ऐसी अनेक भविष्यवाणियां आज ही सटीकता के साथ कर सकते हैं।

  

क्या हमारी नई पीढ़ी को यह पता नहीं होना चाहिए कि भारतीय खगोलशास्त्रियों और ज्योतिषाचार्यों ने बिना किसी सुपर कंप्यूटर की सहायता से कालगणना के लिए जो सूक्ष्मतम माप निश्चित की वह हमारे लिए गौरव का कारण है। इसे समझने और समझाने की जरूरत है। महामुनि शुक्र ने सबसे छोटी माप की इकाई को परमाणु कहा है। उन्होंने एक दिन-रात में 3280500000 परमाणु काल बताए जो 86,400 सेकेंड के बराबर होते हैं। इसका अर्थ यह है कि एक परमाणु काल एक सेकेंड का 37968.75वां हिस्सा होगा। और अधिकतम की ओर बढ़ें तो ब्रह्मा का एक वर्ष 31 खरब 10 अरब 40 करोड़ वर्ष का बताया है। वहीं उससे आगे विष्णु और रुद्र के वर्ष भी हैं। ये गणनाएं यथार्थ हैं कोई कपोल कल्पनाएं नहीं हैं। अतः सभी वयस्क भारतीयों का कर्तव्य है कि वे इस सांस्कृतिक और सभ्यतागत तथ्यों को अपनी भावी पीढ़ी को बताएं और समझाएं। उन्हें बताना होगा कि ऋग्वेद में रुद्र की स्तुति बलवानों में सबसे अधिक बलवान कहकर की गई है। और रुद्र को ही कल्याणकारी होने पर शिव कहा गया है। और कालगणना में रुद्र अर्थात शिव के एक दिन का अर्थ है विष्णु के 100 वर्ष। जोकि अनंतानंत है।

स्वतंत्र भारत की सरकार द्वारा राष्ट्रीय पंचाग निश्चित करने के लिए प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. मेघनाथ साहा की अध्यक्षता में कलेंउर रिफार्म कमेटी का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट 1952 में साइंस एण्ड कल्चर पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार उक्त कमैटी ने विक्रम संवत को ही राष्ट्रीय संवत निश्चित करने की सिफारिश की थी क्योंकि यह ईस्वी संवत से 57 वर्ष पुराना और अधिक वैज्ञानिक था। लेकिन वामपंथियों के प्रभाव के कारण इस सिफारिश को नहीं माना गया और भारतीय पंचांग कर्मकाण्डी ब्राह्मणों के थेलों तक सीमित रह गया। हालांकि किसी भी शुभ कार्य के अवसर पर जो संकल्प हम करते हैं वह इसी पंचांग के आधार पर करते हैं।

(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)    


   



Comments

वाह,गजब की जानकारी मिली आज,धन्यबाद
अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी
This information gives a great value of our culture ��
Unknown said…
बहुत सुंदर वर्णन आपने कॉल गणना का किया है इसकी जानकारी हर एक हिंदू को होनी चाहिए

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