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Showing posts from September, 2015

परमवीर अब्दुल हमीद ने तोड़े थे 7 पाकिस्तानी टैंक

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पाकिस्तान की ओर से आ रही परमाणु युद्ध की ताजा धमकियों के बीच 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के महानयक, परमवीर चक्र से सम्मानित हवलदार अब्दुल हमीद के असाधारण वीरतापूर्ण कारनामें को हमें याद करना चाहिए और पाकिस्तान को भी याद दिलाना चाहिए। अमेरिका से प्राप्त पैटन टैंक पर इतराते पाकिस्तान के हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए हवलदार अब्दुल हमीद ने अपनी गन माउंटेड जीप से अकेले ही दुश्मन के सात टैंक तबाह कर दिए थे। उस समय दुनिया में अजेय कहलाने वाले पैटन टैंक के सामने गन माउंटेड साधारण सी जीप की हैसियत, एक खिलौने से अधिक नहीं थी। लेकन हवलदार हमीद ने अपने अद्भुत साहस और रणनीतिक सूजबूज के बल पर वह ऐतिहासिक कारनामा कर दिखाया जिसने उन्हें अमर कर दिया। इस घटना के बाद अमेरिका को भी अपने इन टैंकों के डिजाइन में बड़े परिवर्तन करने पडे़ क्योंकि हवलदार हमीद ने उन टैंकों के कमजोर स्थानों को निशाना बनाकर उन्हें तबाह कर दिया था। युद्ध में तकनीकि के महत्व से कभी इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन आमने सामने की लड़ाई में साहस और धैर्य सदैव ही महत्वपूर्ण होता है, जिसके अभाव में उन सात में से चार टैंकों को तो पाकिस्त...

भारत की सामूहिक चेतना की सूत्रधार है हिन्दी

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पिछले दिनों 10वां विश्व हिन्दी सम्मेलन भोपाल में संपन्न हुआ। तीन दिन में कुल बारह विभिन्न विषयों पर देश के वरिष्ठ हिंदी सेवियों ने हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए चिंतन किया। इस चिंतन-मंथन से जो मक्खन निकला वह निश्चित ही देश-विदेश में हिन्दी के व्यावहारिक विस्तार में सहायक तो होगा ही साथ ही हिन्दी का मान-सम्मान बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध होगा। हिन्दी जगत इस बात से किसी हद तक संतुष्ट हो सकता है कि कुछ वर्ष पहले तक हिन्दी के प्रति देखा जाने वाला उपेक्षाभाव अब कहीं तिरोहित हो चला है। पिछले कुछ समय से हिन्दी के प्रति जो स्वीकार्यता देखी जा रही है वह निष्चित ही संतोष देने वाली है लेकिन अभी हिन्दी को बड़ा रास्ता तय करना है। दरअसल हिन्दी जगत को हिन्दी की प्रतिष्ठा के लिए बड़े और वास्तविक जोखिम उठाने होंगे। जिस प्रकार हिन्दी प्रेमी युवा अब अपने काम-काज की राहें अंग्रेजी भाषा के स्थान पर हिन्दी भाषा में तलाशनें का जोखिम उठाने लगे हैं और सफलता भी प्राप्त करने लगे हैं, इस बदलती मानसिकता ने हिन्दी को काफी आगे बढ़ाया है। अंग्रेजी भाषियों के सामने ही उन्हीं के स्तर पर खड़े होकर बिना किसी हिचक या मानस...