स्कूल की परीक्षाओं और तनाव को लेकर एक छात्र द्वारा भगवान से की जा रही प्रार्थना एक अज्ञात कवि के शब्दों में-- हे प्रभो, इस दास की इतनी विनय सुन लीजिये, मार ठोकर नाव मेरी पार ही कर दीजिये ! मैं नहीं डरता, प्रलय से, मौत या तूफ़ान से, रूह मेरी कांपती है, बस सदा इम्तेहान से ! पाठ पढ़ना, याद करना, याद करके सोचना, सोच कर लिखना उसे, लिख कर उसे फिर घोटना, टाय टाटा टाय टाटा रोज़ रटता हूँ प्रभु, रात दिन पुस्तकों के पन्ने उलटता हूँ प्रभु, किन्तु जाने भाग्य में यह कौन सा अभिशाप है रात भर रटता, सुबह मैदान मिलता साफ़ है ! पी गयी इंग्लिश हमारे खोपड़ी के खून को, मैं समझ पाया नहीं इस बेतुके मजमून को, सी.यू.टी कट है तो पी.यु.टी पुट कैसे हो गया, एस.ओ. सो है तो डी.ओ डू क्यों कर हो गया ! नाइफ में न जाने ‘के’ कहाँ से आ गया बस यही बात भेजा मेरा खा गया ! गणित के अतिरिक्त मुझे और कुछ भाता नहीं, पर क्या करूँ गुणा करना मुझे आता नहीं, अक्ल मेरी एलजेबरा जड़ से जाएगा पचा तीन में से छह गए तो और क्या बाकी बचा, नाश हो इतिहास का सन के समुन्दर बह गए, मर गए वो लोग, रोने के लिए...
भारत के प्राचीन ज्ञान को समझने के लिए पुराणों का विशेष महत्व है। निम्नलिखित 18 पुराणों का वर्णन हमें प्रसिद्ध इतिहासविद डॉ. सुगम आनंद जी की एक पोस्ट से मिला है अतः जैसा का तैसा आपके लिए प्रस्तुत है -- पुराण शब्द का अर्थ है 'प्राचीन कथा' । पुराण विश्व साहित्य के प्रचीनत्म ग्रँथ हैं। उन में लिखित ज्ञान और नैतिकता की बातें आज भी प्रासंगिक, अमूल्य तथा मानव सभ्यता की आधारशिला हैं। वेदों कीमत भाषा तथा शैली कठिन है। पुराण उसी ज्ञान के सहज तथा रोचक संस्करण हैं। उन में जटिल तथ्यों को कथाओं के माध्यम से समझाया गया है। पुराणों का विषय नैतिदकता, विचार, भूगोल, खगोल, राजनीति, संस्कृति, सामाजिक परम्परायें, विज्ञान तथा अन्य विषय हैं। विशेष तथ्य यह है कि पुराणों में देवा-देवताओं, राजाओ, और ऋषि-मुनियों के साथ साथ जन साधारण की कथायें भी उल्लेख करी गयी हैं जिस से पौराणिक काल के सभी पहलूओं का चित्रण मिलता है। महृर्षि वेदव्यास ने 18 पुराणों का संस्कृत भाषा में संकलन किया है। ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश्वर उन पुराणों के मुख्य देव हैं। त्रिमूर्ति के प्रत्येक भगवान स्वरूप को छः पुराण समर्पित क...
आगरा,11अगस्त, हिन्दू चेतना जागृति मंच के द्वारा बंग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे भीषण हमलों के विरोध में एक विशाल धरना संजय पैलेस, आगरा पर स्पीड कलर लैब के सामने आयोजित किया गया। जिसमें आगरा के 50 से अधिक विद्यालयों के छात्र, अध्यापक तथा प्रधानाचार्यों के साथ ही 12 से अधिक सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने अपने हाथों पर काली पट्टियां बांध रखी थी। छात्रों ने बांग्लादेश के विरोध में जमकर नारेबाजी की। वे हिंदू-हिंदू भाई भाई, "तेरा मेरा रिश्ता क्या, जय जगन्नाथ जय श्री राम" "बांग्लादेशी घुसपैठियो भारत छोड़ो" जैसे नारे लगा रहे थे। इस मौके पर हिंदू चेतना जागृति मंच के संयोजक विश्वेंद्र सिंह चौहान ने धरने पर मौजूद पांच सौ से अधिक लोगों को संबोधित करते हुए कहा की बांग्लादेश में छात्र आंदोलन का षड्यंत्र रचकर वहां हिंदुओं का कत्लेआम करने वाले, ऐतिहासिक हिंदू मंदिरों को जलाने वाले, माता-बहिनों के साथ बलात्कार करने वालों को वहां की सरकार तत्काल काबू करे और उन्हें कड़ा दंड दे। उन्होंने भारत सरकार से मांग की कि हर हालत में बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत से निकाल ...
Comments