युगांडा से भगाए गए हिंदुओं का दर्द और तत्कालीन कांग्रेस सरकार की उपेक्षा
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श्री सनातन धर्म मंडल मंदिर (Kamla, Uganda) |
युगांडा 85 प्रतिशत ईसाई तो 14 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या वाला देश है। पूर्व में यह देश भी ब्रिटेन का गुलाम था।इसी के कारण यहां से बहुत सारे भारतवासी युगांडा गयें थे जिसमें आधे गुजरात से तो आधे सम्पूर्ण भारत से थे।
भारतवासियों ने वहाँ जाकर अपने पुरूषार्थ का पसीना बहाया जिसके फलस्वरूप वे वहाँ जाकर समृद्ध बन गये। उद्योग -धंधे से लेकर राजनीति तक में भारतीयों का सिक्का चल पड़ा।
...तब ईदी अमीन नामक एक मुस्लिम सैन्य अधिकारी ने 1971 में तख्ता पलटकर मिल्टन ओबेटो को हटा दिया और स्वयं युगांडा का प्रमुख बन गया।
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General Idi Amin |
...युगांडा के सेंट्रल और उत्तरी जोन में मुसलमान ज्यादा रहते हैं और इसी जोन में भारतवंशी भी ज्यादा रहते थे। ईदी अमीन की खुली छुट के कारण सेना के साथ-साथ मुसलमानों ने भी हिंदूओ को मारना-पिटना शुरु कर दिया।
जिसके कारण अपने कठिन परिश्रम से अर्जित पीढ़ियों की समुची कमाई छोड़कर हिंदूओं को वहां से भागना पड़ा। सेना और मुस्लिम जनता ने मिलकर हिंदूओं के संपत्ति पर कब्जा कर लिया।
....सैकड़ो हिंदूओं को मार भी दिया गया। 60000 हिंदू वहां से भागने में सफल रहें। इनको वहां से सुरक्षित निकालने में RSS ने बहुत ही महत्वपुर्ण भूमिका निभाई थी। उन 60000 हिंदूओं में- 29000 हिंदूओं ने ब्रिटेन में शरण ली तो 4500 फीजी में, 5000 ने कनाडा में, 1200 लोगों ने केन्या में, और 11000 हिंदू लौटकर भारत आ गए।
इस तथ्य पर भी ध्यान दें-
According to Kim Knott, professor of Religious and Secular Studies at Lancaster University, there were 65,000 Hindus in Uganda in 1970, but all were expelled by Idi Amin. The expelled Hindus mass migrated to other countries during this period, particularly the United Kingdom (28,000 refugees), India (15,000 refugees), Canada (8,000 refugees), the United States (1,500 refugees) and in smaller numbers to other countries such as Australia.
...इंदिरा गांधी तब देश की प्रधानमंत्री थी युगांडा के हिंदूओं पर अत्याचार को देखकर RSS के सरसंघचालक बालासाहेब देवरस ने इंदिरा गांधी से संयुक्त राष्ट्र में शिकायत करने की अपील की किंतु वह गूंगी गुड़िया की तरह चुप्पी साधी रहीं।
...तब RSS के सरसंघचालक ने केन्या के हिंदू संगठनों को तार भेजकर भारतवंशीयों की सहायता करने की अपील की।दरअसल केन्या युगांडा का पड़ोसी देश है और #केन्या में 1947 के मकर संक्रांति के दिन संघ के स्वयसेवकों ने " #भारतीय स्वयंसेवक संघ " नामक संगठन का निर्माण किया था और यह बहुत जल्दी ही एक बड़ा संगठन बन गया।
....खैर संकट की उस घड़ी में #RSS के केन्याई शाखा ( #भारतीय स्वयंसेवक संघ ) के स्वयंसेवकों ने युगांडा के हिंदुओं के पुनर्वास में तन-मन धन से सहायता की।यहाँ तक की उन भारतवंशीयों को ब्रिटेन और फिजी भेजने में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।..
तब उनके के इस कार्य पर अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के दुतावासों ने "भारतीय स्वयंसेवक संघ " की प्रशंसा की थी।
..शुरू में इंदिरा गांधी युगांडा से आए 15000 हिंदूओं पर मौन साधी रही लेकिन जब अटल बिहारी वाजपेयी व लालकृष्ण आडवाणी और समुचा संघ परिवार इस पर शोर मचाने लगा तब जाकर इंदिरा गांधी का ह्रदय पिघला और इनकी नागरिकता दी।
...यह बात जानना भी महत्वपूर्ण है 29000 हिंदूओं ने जो ब्रिटेन में शरण ली थी इसके कारण वहाँ के समाचारपत्रों ने इसके लिए सरकार की कड़ी आलोचना करना शुरु कर दिया।
ब्रिटेन के अखबारों की आलोचना इतनी कड़वी थी कि मजबुरन वहां के विदेश मंत्री को यह कहना पड़ा कि हम इनको ब्रिटेन में नही रखने जा रहे हैं हम इन सभी को भारत भेजेगें।
...तब इस मुद्दे पर ब्रिटेन के अधिकारियों और भारत के अधिकारियों में बातचीत शुरू हुई। भारत टस से मस नही हुआ उसके बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने इंदिरा गांधी से खुद बात की किंतु इंदिरा गांधी ने 29000 भारतीयों को लेने से इंकार कर दिया।
बाद में UNO ने हस्तक्षेप किया कि यह अभी प्रताडऩा से पीड़ित हैं इसलिए इनको तत्काल ब्रिटेन में ही रहने दिया जाए।
बाद में उनके अच्छे ब्यवहार के कारण सभी 29000 को ब्रिटेन की नागरिकता दे दी गई।
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