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Showing posts from February, 2015

हाईकोर्ट बेंच की मांग

किसी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में न्यायालय का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसीलिए उसे लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक माना गया है। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना के लिए लंबे समय से आगरा और मेरठ में जो आंदोलन चल रहा है, उसके कारण न्यायलय परिसर लंबी हड़तालों और आंदोलनों के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में वादकारियों का समय से न्याय पाने के अधिकारों पर भी जबरदस्त कुठाराघात हो रहा है। फिलहाल इस समस्या को कोई समाधान दिखाई नहीं दे रहा क्योंकि इसके लिए जैसी राजनीतिक इच्छाशक्ति चाहिए उसका सर्वथा अभाव दिखाई देता है। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा के मुकदमों की सुनवाई इटावा में करने की व्यवस्था करके निश्चित ही बहुत कड़ा और एतिहासिक कदम उठाया है। न्यायहित में उठाए गए इस कदम की सराहना होनी चाहिए। आखिर न्याय हमारे सामाजिक जीवन का अति आवश्यक अंग है। न्यायालयों में हड़ताल से न्याय की मूल भावना आहत होती है। समस्या यह भी है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्तियों पर स्वार्थ का परदा पड़ा हो तो आखिर लोकतांत्रिक व्यवस्था में हड़ताल करके व्यवस्था का विरोध करने के अलावा और क्या किया जा स...

दिल्ली के दंगल का संदेश

चुनावी राजनीति यूं तो सदैव ही आम और खास की जिज्ञासा जागरण का कारण रही है लेकिन दिल्ली के वर्तमान विधानसभा चुनाव जिस स्तर पर पहुंच गए हैं,   वह स्तर कम ही देखने को मिलता है। इस चुनाव में पार्टियां महत्वपूर्ण नहीं हैं,   नेता महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू जिसने देश-दुनिया को लगातार अपने प्रभाव में ले रखा है उसे,   राजनीति में नौसीखिये अरविंद केजरीवाल ने चुनौती दी है। मतदाता किसे समर्थन देंगें या एक बार फिर दोनों को बगलें झांकने पर मजबूर करेंगे,   ऐसे प्रश्नों के करण कौतुहल का स्तर लगातार बड़ रहा है। मीडिया में चल रही बहसें और चुनावी सर्वेक्षणों के महत्व अपनी जगह हैं लेकिन जिस गति से नई और पुरानी राजनीतिक पार्टियां और नेता लगातार राजनीतिक वर्चस्व बनाने के लिए तिकड़म भिड़ाने लगे हैं और आम मतदाता के सामने भ्रामक स्थितियां पैदा करने में माहिर हो गए हैं,   तो मानना चाहिए कि अब समय आ गया है जब देश के मतदाताओं को भी राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रशिक्षित किया जाए। भारत की जनता की बड़ी समस्या है राजनीतिक जागरूकता का अभाव। यदि आम नागरिक राजनीतिक रूप से जागरूक ह...