हाईकोर्ट बेंच की मांग
किसी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में न्यायालय का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसीलिए उसे लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक माना गया है। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना के लिए लंबे समय से आगरा और मेरठ में जो आंदोलन चल रहा है, उसके कारण न्यायलय परिसर लंबी हड़तालों और आंदोलनों के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में वादकारियों का समय से न्याय पाने के अधिकारों पर भी जबरदस्त कुठाराघात हो रहा है। फिलहाल इस समस्या को कोई समाधान दिखाई नहीं दे रहा क्योंकि इसके लिए जैसी राजनीतिक इच्छाशक्ति चाहिए उसका सर्वथा अभाव दिखाई देता है। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा के मुकदमों की सुनवाई इटावा में करने की व्यवस्था करके निश्चित ही बहुत कड़ा और एतिहासिक कदम उठाया है। न्यायहित में उठाए गए इस कदम की सराहना होनी चाहिए। आखिर न्याय हमारे सामाजिक जीवन का अति आवश्यक अंग है। न्यायालयों में हड़ताल से न्याय की मूल भावना आहत होती है। समस्या यह भी है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्तियों पर स्वार्थ का परदा पड़ा हो तो आखिर लोकतांत्रिक व्यवस्था में हड़ताल करके व्यवस्था का विरोध करने के अलावा और क्या किया जा स...